श्री सत्यनारायण व्रत कथा - तुलसी ग्रहण - सहस्रार्चन
Shri Satyanarayan Vrat Katha - Tulsi Eclipse - Sahasrarchan

श्री सत्यनारायण व्रत कथा एवं पूजन विधि
श्री सत्यनारायण व्रत कथा - तुलसी ग्रहण - सहस्रार्चन
तुलसीग्रहण -
(तदनन्तर भगवान् श्रीसत्यनारायण को अर्पित किया हुआ तुलसी दल ग्रहण करें)
पूजनानन्तरं विष्णोरर्पितं तुलसीदलम्।
भक्षयेदेहशुद्धचर्थ चान्द्रायणशताधिकम् ।।
तुलसी ग्रहण करने के पश्चात् भोग लगाये गये नैवेद्य को प्रसादरूप में भक्तों में बांटकर स्वयं भी ग्रहण करें। श्रीसत्यनारायणव्रत का प्रसाद अवश्य ग्रहण करना चाहिये।
सहस्रार्चन
(एक हजार नामों से सत्यनारायण भगवान् का दिव्य पूजन)
कथा श्रवण करने से पहले एक हजार (१०००) नामों से तुलसीपत्र के द्वारा सत्यनारायण भगवान् की दिव्य अर्चना करने का विधान है।