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श्री सत्यनारायण व्रत कथा - प्रसाद ग्रहण

Shri Satyanarayan Vrat Katha - Prasad Grahan

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Satyanarayan-Vrat-Katha

श्री सत्यनारायण व्रत कथा एवं पूजन विधि

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श्री सत्यनारायण व्रत कथा - प्रसाद ग्रहण

प्रसाद (चरणामृत) ग्रहण -

भगवान् श्रीशालग्राम का चरणोदक अत्यन्त कल्याणकारी एवं पुण्यप्रद है। यह सभी पापों को समूल नष्ट कर देता है एवं तपत्रय का शमन कर देता है। अतः श्रद्धा पूर्वक पूजन के अन्त में इसे सर्व प्रथम ग्रहण करना चाहिये। ग्रहण करते समय ध्यान रखें कि यह भूमि पर न गिरे। इसलिये बायें हाथ के ऊपर शुद्ध दोहरा वस्त्र रखकर, उसपर दाहिना हाथ रखें तथा दाहिने हाथ में लेकर निम्न मन्त्र पढ़कर चरणामृत ग्रहण करें -

अकालमृत्यु हरणं सर्वव्याधि विनाशनम्।
विष्णुपादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते ॥

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