वैशाखी पूर्णिमा - बुद्ध पूर्णिमा
Vaisakhi Purnima - Buddha Purnima

॥ श्रीहरिः ॥
वैशाखी व्रत -
वैशाखी पूर्णिमा बड़ी पवित्र तिथि है। इस तिथि के महत्त्व का वर्णन भविष्य पुराण में दिया गया है। इसी दिन भगवान विष्णु की और उनके नौवाँ अवतार भगवन बुद्ध की पूजा की जाती है। इसी दिन भगवन बुद्ध की भी जयंती है जिसे बुद्ध जयंती या बुद्ध पूर्णिमा के रूप मानते हैं। इस दिन दान-धर्मादि के अनेक कार्य किये जाते हैं। अतः यह उदय से उदयपर्यन्त हो तो विशेष श्रेष्ठ होती है। अन्यथा कार्यानुसार लेनी चाहिये। इस दिन -
(1 ) धर्मराज के निमित्त जलपूर्ण कलश और पकवान देने से गोदान के समान फल होता है।
(2 ) यदि पाँच या सात ब्राह्मणों को शर्करासहित तिल दे तो सब पापोंका क्षय हो जाता है।
(3 ) इस दिन शुद्ध भूमि पर तिल फैलाकर उसपर पूँछ और सींगों सहित काले मृग का चर्म बिछावे और उसे सब प्रकारके वस्त्रों सहित दान करे तो अनन्त फल होता है।
(4 ) यदि तिलोंके जलसे स्नान करके घी, चीनी और तिलोंसे भरा हुआ पात्र विष्णु भगवान् को निवेदन करे और उन्हीं से अग्नि में आहुति दे अथवा तिल और शहदका दान करे, तिल के तेलके दीपक जलावे, जल और तिलोंका तर्पण करे अथवा गङ्गादिमें स्नान करे तो सब पापोंसे निवृत्त होता है।
(5 ) यदि इस दिन एक समय भोजन करके पूर्णिमा, चन्द्रमा अथवा सत्यनारायणका व्रत करे तो सब प्रकारके सुख, सम्पदा और श्रेय की प्राप्ति होती है।
बुद्ध पूर्णिमा -
बुद्ध पूर्णिमा पर्व हिंदू और बौद्ध दोनों ही धर्मों के लोग मनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान बुद्ध के रूप में भगवान विष्णु के नौवें अवतार का जन्म हुआ था।
बुद्ध पूर्णिमा बैसाख माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था, इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था। 563 ई.पू. बैसाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध का जन्म लुंबिनी, शाक्य राज्य (आज का नेपाल) में हुआ था। इस पूर्णिमा के दिन ही 483 ई. पू. में 80 वर्ष की आयु में 'कुशनारा' में में उनका महापरिनिर्वाण हुआ था। वर्तमान समय का कुशीनगर ही उस समय 'कुशनारा' था।
इस दिन भगवान् बुद्ध की मूर्ति पर फल-फूल चढ़ाते हैं और दीपक जलाकर पूजा करते हैं। बोधिवृक्ष की भी पूजा की जाती है। उसकी शाखाओं को हार व रंगीन पताकाओं से सजाते हैं। वृक्ष के आसपास दीपक जलाकर इसकी जड़ों में दूध व सुगंधित पानी डाला जाता है। पिंजरों से पक्षियॊं को मुक्त करते हैं व गरीबों को भोजन व वस्त्र दान किए जाते हैं। दिल्ली स्थित बुद्ध संग्रहालय में इस दिन बुद्ध की अस्थियों को बाहर प्रदर्शित किया जाता है, जिससे कि लोग वहाँ आकर प्रार्थना कर सकें।